बैलवा से हर खीचाते नईखे गरम कदइ में चलल जाते नईखे !!
इन्द्र भगवान् भईलन नाराज अईसन !
जरावल चुल्हा से हङीयाँ उतार लेली सास जईसन !!
मउगी मांगेली बनीहारी मुखीया के घोटाला जईसन !
कहेली धान रोपाई ना त मल्कीनी खईहन कईसन !!
अब ना रोपाई धान खाली सतुआ प्याज प !
बीती अगहन त खाए पडी देढा सवाई ब्याज प !!
जा जा हम चल जाईब जवार में रोपे अउर काटे !
तोहरा लेखा ओहीजवो ढेर गीर्हत बांटे !!
ढेर सहनी जमींदारी तोहार आधा पेट खाके !
तू खा जाउर पुड़ी हमरा घर में बीना नून के रोटी पाके !!
हमार उ बनिहारी करस मालिक बन गईल तू !
रोपी सेयीं काटीं हम उठा के लेजा हो तू !!
भर पेट खाए के अनाज ना मिले ढेकारत चलअ तू!
आईल बा राज मोदी जी के अब बनिहारी करबअ तू !!
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