'' भाई साहब कुछ उम्मीद आ भरोसा कइके नु रउवा हमरा के याद करेनी एहिसे हमरो से जेतना हो सकेला हम रउवा के मदद करे से इनकार न करी'' हम कहनी उ फिर हमरा के धन्यबाद दिहलक आ ओकर फ़ोन कट गइल I हम अपना कंपनी के कैंटीन से खाना पैक करा के ओकरा कमरा प भिजवा दिहनी, दुसरका दिन ओकर फिर फ़ोन आइल अबकी उ हमरा के १ बजे खाना खाए खातिर अपना कमरा प बोलsवलस त हम काम जादा आ ना सकत बानी कही के माना कर देनी बाकी उ जिद करे लागल त हम समय मिली त जरुर आ जाइब कह के फ़ोन काट दिहनी I
उ कुछ दिन पहिले हमार पडोसी रहे बाकी ओकरा से जादा जान पहचान ना रहुवे, जात के ब्रह्मण नाम रमेश उ पढ़ल लिखल ना रहे घर से तीन किलो मीटर दूर एगो होटल में कुक के नौकरी करत रहे हम बस ओकरा बारे में अतने जानत रहनी, ओकर हमरा प्रति इतना लगाव आ मदद के उम्मीद से अब हमरा माथा में कुछ ठनके लागल हमरा ओकरा साथे बिना जान पहचान के एतना लगाव आ नजदीकी बढावल कुछ ठीक ना बुझाइल I इहे सब सोचत रहनी की मोबाइल के घंटी फिर बाजल बिना नंबर देखले हम मोबाइल कान त लगा के बोलनी - हैल्लो....! '' १ बज गइल भाई साहब हम राउर इन्जार करत बानी जल्दी आ जाई ओने से आवाज आइल I'' '' ह...! ह...! ठीक बा थोड़ी देर में आवत बानी...!'' आनन फानन में कही के हम फ़ोन काट दिहनी आ कैंटीन में जाके दू आदमी के खाना पैक करवा लेनी I ओकर कमरा प हमरा हाथ में खाना के थईला देख के - '' अरे भाई साहब हम राउर खाना त बनववले ही रही रउवा खाना काहे लेके अइनी ह '' उ कहलस, '' कोई बात ना भाई जी इनकरो के ओही सब में मिला के खा जाइल जाई '' हम ओकरा से कहनी, खाना खाते खाते पता चलल की ओकर ३८०० रुपया तनख्वाह बा आ ड्यूटी सुबह ७ बजे से लेके रत के ११ बजे तक करला I आ फिर उ हमरा से कवनो दोसर काम लगवावे के काहे लागल जवना में पइसा भी ठीक होखो आ समय से छुट्टी भी मिल जाए हम ओकरा के कोशिश करब कही के ऑफिस चल अइनी I ओकरा १०-१२ दिन बाद हमरा फ़ोन प कही से फ़ोन आइल हम रिसीव कइनी त पता चलल की ओने से कवनो श्रवन नाम के आदमी बोलत बा उ पहिले त हमरा से हमार हाल चाल पुछलस, हमहू सब ठीके बा कहिके ओकरा से पूछनी की - '' हमरा से रउवा का काम बा भाई जी कइसे फ़ोन कइले बाङs आ हमार नंबर तोह के कईसे मिलल ?'' '' कुछ ख़ास ना बस असही रउवा से कुछ बतियावे के मन करत रहे एह से कइनी ह उ कहलस I'' '' त ठीके बा बतियावs का बतियावल चाहत बाङs ?'' हम फिर से ओकरा से शवाल कइनी I
फ़ोन प उ आदमी हमरा से जवन बात कहे के सुरु कईलस उ बात से हमार त पारा गरम हो गइल आ एका एक हमरा मुह से निकल ''ए...भाई....ए....सनकल त नइखs नु अब आपन बकवास बंद करबs की हमरा से कुछ सुनल चाहत बाड़s.....अतना सुनते उ कहलस की '' भाई साहब राउर खिसिआइल जायज बा बाकी हमरा बात प रउवा के बिश्वास करे के पड़ी हम अइसन कइगो सुबूत रउवा के दे सकत बानी ''
'' उ आदमी अइसन का कहत रहे रमेश भाई जवना से तोहरा एतना रोष आ गइल'' - राजकुमार रमेश से पुछलस I
'' का कहीं हो राजकुमार भाई उ आदमी हमरा के अभी त बात बतावे के शुरूये क़ईले रहे तबे हमरा खींस बरे लागल बाकी फिर हम इ सोचनी की बिना कुछ जनले बुझले कोई केकरो बारे में अइसन बात त ना कहीं, आ हम ओकरा के अउर सब कुछ खुल के बतावे के कहनी मतलब ओकर बात सुने के हमार अउर उत्सुकता बढ़ नु गइल'' - रमेश राजकुमार से कहलस I
'' मलतब उ आदमी तोहरा घर के मामला में कुछ बोलत रहे का'' - राजकुमार पुछलस I
" ना हो उ हमरा घर के मामला में ना उहे पंडीजी के घर के बारे में बतवलस, सबसे पहीले त कहता की,'' - भाई साहब रउवा पंडीजी के औरत के चक्कर में कब से पडल बानी............मत पड़ी उ औरत बहुत खराब बिया ओकर पता ना कय गो से जान पहचान बा''