सी एम् के आवास में आईल एगो बड़ा ही अनोखा केश !
पुछली मेहरारू मरद से अपना अकल बड की भैंस !!
अमंगल भवन में मंगल हारी, सुनहु प्रीये भईस सब प भारी !
भईस अब ना खाए चारा, तबहू पांच सेर हम दूध नीकारी !!
केहू के अकल इ ना कर पावे, खुद खाए चारा तबहू दूध बनावे !
अकल घास जब चरण जाये, हार जाए नेता खूब पछताए !!
भईस के चारा लालू खईलन, अपने घरवाली के सी एम् बंईलन !
सब नेता चारा खा लोग, अपने बीवी के सी एम् बनाव लोग !!
घरवाली के सी एम् ना बना के नेता रोव !
भईस के कोई नीजी घरवाला ना होवे !!
अकल से मोबाईल फ़ोन घुमे, एस.एम्.एस.पर चारा पा के झूमे !
भईस तबहू डकारे, कभी ना उ वीपक्छ लेखा मीस काल मारे !!
तबहू भईस हमार बीया बरीयार, हम करीले हमेसा ओह से प्यार !
नेता के अकल के कोई ना जाने, बीन चारा के भईस के सब कोई जाने!!
जाके अकल में गोबर भर जाई, उ नेता सर पटक पटक के रोई!
अमंगल भवन में सब के मंगल हारी, भईस के गोबर सब के प भारी !!
भईस चारा ना मांगे त तू काहें रोवे, ओकर दरद तोहरा पेट में काहे होवे!
भईस मरी त जूता बन जाई, तू मरबअ त हमार जूता खियायी !!!!
!!!!!!!! इती श्री !!!!!!!!
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