गुंडागर्दी

22/04/2010 13:57

चंपारण जीला बीहार के गाँव सहाद्रा का शीन रंग मंच सजा रहता हैं जहा पर उस एरीया के एम्. .एल. . ( MLA ) का भाषण होने वाला रहता है लोग नेता जी के इन्तजार मे कतारबद्ध हो एक तरफ खड़े रहते हैं तो कुछ लोग बैठे रहते है नेता जी के कुछ अन्ग्रक्छक स्टेज के दोनों तरफ खड़े रहते है तो कुछ हाथ में लाठी बन्दूक लीये स्टेज के ऊपर खड़े रहते हैं I थोड़ी देर बाद नेता जी जैसे ही अपने टाटा सफारी से उतरते हैं दस पंद्रह पुलीश वाले उनको चारो तरफ से घेर लेते है और अपने साथ स्टेज तक लेकर आते हैं , नेता जी स्टेज पर चढ़ते हैं और सामने टंगे माइक को अपने हाथों में लेते हुए अपना गला साफ़ करते हैं और बोलते हैं - भाई अउर बहीन लोग गाँव नगर के सब बड बुजुर्ग लोग के एह ( गर्व से सीना फुलाते हुए ) खेलावन सींह के प्रणाम ! थोडा झुक जाते हैं I हम रउवा लोग के भलाई खातीर ही एहीजा आइल बानी हमार इ ( अपने स्टेज पर लगे चुनाव चीन्ह की और इशारा करते हुए ) नाँव सब के साथ एह राज्य बीहार के बेडा पार लगावे के खातीर ही आज रउवा सब से ( हाथ जोड़ते हुए ) वोट मांगता हम इ चुनाव जीतला के बाद बीपक्छ के इ बता देब की राज्य के जनता के सेवा कईसे कईल जाला I

    तभी एक जीप में कुछ लोग अपने हाथों में बैट हांकी बन्दूक और अपने नेता जी का चुनाव चीन्ह एक पानी की धार पर बने पुल का झंडा लीये  हुए शोर मचाते हुए स्टेज की तरफ आते दीखते है लोगों में भगदड़ मच जाती है नेता जी स्टेज से उतर कर अपने अन्ग्रक्छाकों को कहते है, - अरे तू लोगन हमार मुह का देखत बाड़ जा के मारअ एह सशुरण के, और अपने गाडी में बैठते हुए ड्राईवर से कहते हैं अरे जलदी चलअ भाई ड्राईवर गाडी ले कर चला जाता है , पुलीश वाले भी नेता जी के पीछे पीछे अपनी गाडी दौडाने लगते है I

    पुल चुनाव चीन्ह वाले गाडी से उतरकर कुछ तो उस स्टेज पर जा कर माईक संभालते हैं और कुछ वहा से पलायन हो रहे लोगो को घेर लेते हैं तभी माईक में से आवाज आती है हमनी के पहीले बात सुन ला जा तबे एहीजा से अपना अपना घरे जा सकत बाड़ जा, हर कोई आवाज सुनकर स्टेज की और मुखातीब होता है I एक माईक में लगभग चील्लाता हुआ बोलता है - तोहरा लोग से इहे अतना कहे के बा की अगर कोई भी पुल छाप के छोड़ के और कोई के वोट दी त ( चाकू दीखाते हुए ओकरा के काट के कोशी में फेक दीहल जाई I और स्टेज पर तोड़ फोड़ करके चले जाते है I

    एक गाँव में सुबह सूर्य को आसमान से नीकलते और चीडीयों के चह चहाने के साथ अपने गाये भैसों के लीये चारा लेकर जाते हुए इंसपेक्टर राम के पीता जी भुवन अपनी पत्नी को आवाज लगाते हुए कहते है - ए राम के माई उठा द उ नालायक के ड्यूटी प ना जाई का ? कीरीन कपार प आ गईल बा बाक़ी येह नीकम्मा के नींदे नइखे खुलत कहते हुए बडबढाने लगते है I

    हालात का मारा और सीस्टम का सताया इंसपेक्टर राम एक खुद्दार और नेक इंसान होते हुए भी अपने बुढे माँ बाप के लीये अपने जमीर को मार के हालातों से समझौता कर उसी तरह जीने पर मजबूर रहता है जैसे उसके साथ के और सीपाही रहते, करते और जीते हैं Iवो अक्सर घर देर से सराब पी कर आता है और माँ के हाथों से खाना खा कर सो जाता है उसकी रोज की यही आदत रहती है I वो दुखी दील से अपनी माँ से तो कहता है की माँ तू कभी भी पीता जी से मेरे ऐसे करने के बारे में मत बताना पर अपने पती को अपने घर की नीव समझने वाली उसकी माँ सबकुछ राम के पीता जी को बताती रहती है,उसके पीता जी राम की तरफ से हमेसा दुखी और परेसान रहते तो है पर इस बात का कभी राम पर जाहीर नही होने देते है I कभी कभी अपना दुःख अपनी पत्नी या फीर पास के ही रहने वाले अपने पुराने दोस्त मशुदन से बाँट लेते है I

    राम की माँ राम को उठाती है राम नीत्य कर्म करके अपनी बर्दी को झीझकते हुए पहनता है ये उसकी मजबूरी रहती है आखीर एक पढा लीखा इंसान आज के दौर में सरकारी नौकरी तो दूर खेती बाडी करके भी नही जी सकता है अगर उसके पास अपनी कोई जमीन न हो तो यही सोच कर राम अपने नौकरी पर जाता है I बाहर बैठे राम के पीता जी राम के माँ से कहते हैं - राम के माई हमनी के राम के पाले पोसे में जरुर कोई कमी रह गइल बा जो आज राम अइसन हो गइल बा, (ऊपर हाथ उठाते हुए) हे भगवान बडा ही उम्मीद करके हम अपना लईका के नाम राम रखले रही राम ! की हमार लईका एक दीन हमार अउर इ गाँव के नाम उचा करके दीखाई I बाक़ी इ का भईल, राम रोज दारु पीयत बा रात रात भर ना जाने कहां रहत बा ना त शादी करत बा ताकी हमनी बूढा बुढी के सहारा मील सके अउर उनके आखों में आंशु आ जाते हैं I वो अपने गमछे से अपने आखों को पोछने लगते है तभी वहां पर मशुदन आते है और भुवन राम के पीता जी को सत्वाव्ना देते हुए कहते है- भुवन भाई तू चीनता जीन करअ हो एक दीन देखीह सब ठीक हो जाई भगवान पर भरोषा रखअ

राम अपने ओफीस में आ कर अपने सीनीअर डी.एस.पी. झा को सैलूट मरता है डी.एस.पी. बैठा-बैठा ही राम को कहता है- हां हां ठीक बा ठीक बा जो हम तोहके बतावे जात बानी उ के ध्यान से सुनअ, परसों गाँव सहाद्रा कोतवाली में एगो चुनाव परचार के बाधा पहुचावे और कुछ गुंडा लोगन से ओहीजा उत्पात मचावे के केश दर्ज भईल रहे अउर उहाँ के इंचार्ज अपना ओरत के डीलीवरी केश के शील्शीला में होस्पीटल में बा एह से हम तोहार उआहं पर फीलहाल पोस्टींग करत बानी तू जाके मामला के छान बीन कर के आज ही रीपोर्ट करअ I अउर सुनअ ध्यान रहे की जादा ऊँचा नीचा मत कर दीह अउर दारु पी के मत पुलीश स्टेशने में सूत जईहओके सर कहता हुआ राम डी.एस.पी. को फीर एक बार सैलूट मारता है अउर दो हवाल्दारों के साथ गाँव सहाद्रा की तरफ नीकल पङता है I

 

 

 

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