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सामाजिक सोच

23/11/2015 20:48
कहते है उम्मीदों पर दुनियाँ टिकी है, उम्मीदों के सहारे जिंदगी भी कटती रहती है। ये उम्मीदे संसार में भुत वर्तमान की तरह भविष्य के साथ-साथ चलते है। इसी वजह से इन्सान अपने  भविष्य में होने वाले परिवर्तनो के लिए, अपने वर्तमान के परिस्थितियों में कुछ बदलाव की उम्मीदे पाल भविष्य की इंतजार करता है।...

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भोजपुरी भाषा के मिठास

24/09/2015 21:17
    महोदय आप लोगो की प्रतिक्रिया आपेक्षित है I

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आधी ज़िन्दगी आधी मौत

24/08/2013 19:34
रमेश अस्पताल में बेहोश पड़ा था उसके पास उसके दोनों बच्चे निशा और सुरेश खड़े सिसक रहे थे I रमेश के गले का ऑपरेशन हुआ था वो अपनी जिन्दगी के कुछ आखिरी दिनों का सामना कर रहा था I डॉक्टर और रमेश के दोनों बच्चे रमेश के होश में आने का इंतजार कर रहे थे। डॉक्टर दोनों बच्चो को अपने पास बुलाते हुए उनका परिचय...

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सुनैना

24/07/2013 18:49
1978, 15 मई दिन सोमवार को मेरे पड़ोस से एक बारात निकली, जो मेरे मामा जी के दूर के रिश्ते में गईं थी I शादी धूमधाम से हुई लड़की की विदाई बारात के साथ हो गईI रिस्ते से दुल्हन मेरी मौसी है और उनका नाम सुनैना है, पिता का नाम नन्हकू राम था, दो छोटे भाई हैं। तीन दूल्हा बने रामलाल को हम चाचा कहते हैंI शादी...

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बिहार..! बिहारी...! बिहारीपना.....!

30/11/2012 18:20
मेरे इस शिर्षक से मैंने मन ही मन मसहूर हो जाना चाहा पर कही इसका उल्टा न हो जाय मैं फिर ये सोच कर अन्नदर तक हिल गया और इस सोच में पड़ गया की, मुझ से ही मेरा अपने वाला राज्य न छीन जाय............ ।    वजह की शुरुआत अपने आप कहता हुँ, मेरा नाम रमेश सक्सेना है, बाई बहनो में मंझला होने के कारण...

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भक्ति भावना

27/06/2010 17:04

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झूठा दर्पण

25/06/2010 14:16
रे मन तू जन जन को क्या देखे I  रे मन ................I  तू वही तेरा तन भी वैसा , होइहे सो गती औरन के लेखे , वो सम तू विसम जो ठहरा , औरन का लुटे अपना बिठा के पहरा , एक सुने तो अनेक सुनावे , एक हार बाद चालीश दिन हरावे , कहीं कम ना किसी से पीछे , बार बार क्या औरन...

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तिपहरी जिन्दगी की

24/06/2010 13:28
  ये दिन का तीनो वक्त है पुरुषो का I शाम ढली रात स्त्रियो  की आएगी II सुबह बाल पण दोपहर जवानी छाएगी I शाम आई बुढ़ापा लेकर रात तन्हा कट जाएगी II   मै ढूंढ़ रहा वो शमां जो भजन भाव बताएगी I पड़े निढाल हो जब बिछावन पर तो II पीड़ दर्द बढ़ असहाय हुआ तो...

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गुंडागर्दी

22/04/2010 13:57
p { margin-bottom: 0.08in; } p { margin-bottom: 0.08in; } चंपारण जीला बीहार के गाँव सहाद्रा का शीन रंग मंच सजा रहता हैं जहा पर उस एरीया के एम्. .एल. ए. ( MLA ) का भाषण होने वाला रहता है लोग नेता जी के इन्तजार मे कतारबद्ध हो एक तरफ खड़े रहते हैं तो कुछ लोग बैठे रहते है नेता जी के कुछ अन्ग्रक्छक...

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बलिदान

20/04/2010 15:04
  गाँव सीताब्दीयर जीला छपरा सारण के एक दम्पती के घर के सामने का दृश्य एक बार हुलीये से लगभग बृध हो चूका एक आदमी आता है और सामने कुंवे से पानी नीकाल रही एक औरत को संबोधीत करता हैं !   - नमस्ते लीला जी कईसन बानी रउवा I   आँ ! के ह जी हम रउवा के पह्चाल्नी ना ? कहते हुवे लीला कुंवे...

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विनोद कुमार सक्सेना

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