जनम भइल बा देहरादून में अम्हारुहाँ आरा में बा अवाश !
कह नईखी सकत हम बीतल बचपन के बारे में कुछ ख़ास !!
भेजे लगले बाबूजी पढ़े लिखे के रख दील्वा में कुछ आश !
चढ़ल जवानी त मन उडे लागल छुवे के चाहीं अब आकाश !!
देख प्रीतीया भावुक के अब मनवा बहकी ना केकर !
भावुक कहलन तू मान जा बाबू इ प्रीतीया भईल ह केकर !!
इ प्रीतीया बनाई दुश्मन ओकरे बाड़ आज दुलारा जेकर !
मानल ना मनवा पा गईल अब त झंकार पायल के उनकर !!
अब का कहीं हम ए भावुक का का देखनी हम उनके प्यार में !
एगो अल्लढ़ के ठिठोली खूब रिझईलक कभी प्यार कभी तकरार में !!
हमहू जान गइनी की उनकर अदा ह इकरार करेके इनकार में !
इ का भईल का परिवारीक बंधन भी बा हमनी के पयार में !!
छुट गईल सब प्यार मुहब्बत जियात्बानी उनके याद में !
का कहीं हम इ मुहब्बत का ह खूब बुझाईल इ बाद में !!
मन्मगन मुहब्बत में हमहूँ रहनी जब रहली उ नजरीयाँ के पास ! !
गुनगुनात भवरन जईसन हमहूँ रहनी जब उ दीनवा रहे ख़ास ! !!
भूल गईलन भवरा उ कलीयन के जवन इतरा के खीलल छोड़ दीहली !
हम कभी ना भुलाईब उ गलीयन के जहां से उ मीलल छोड़ दीहली !!
खेलनी खईनी संगे संगे सेयान भईनी अलग अलग !
प्यार मुहब्बत कईनी दुनो मील जवान भईनी अलग अलग !!
कटल जवानी एक दुसरे के याद में पुराण भईनी अलग अलग !
जिन्दा बानी उनके याद में अब त मर भी जाईब अलग अलग !!
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