दिवाली के खुसी!
22/04/2007 16:44
दीवाली आवेला लोग खुशियाँ मनावेला ,
घर के सजावेला दिया भी जरावेला ,
आतिशबाजी के आनंद सब कोई उठावेला,
और दीवाली चल जला..................,
वर्ष-दर-वर्ष इहे चक्र दोहरावल जाला ,
दीवाली के प्रयोजन लोग के सम्झावल जाला,
पर लोग भूल जला दीवाली के अशली अर्थ,
जीवन में लोग करत रहलन यदा कदा अनर्थ,
दीया अपना घर में जरावालन ,
दोसरा के घर के चिराग बुतावलन,
लक्ष्मी जी के पूजल जाला,
गृह-लुक्स्मी के कोसल जाला,
कुँवार कन्यां के भोजन करावल जाला,
भ्रूण कन्यां के गर्भ में मारल जाला ,
अपन घर के रंग रोगन करावल जाला,
बाकी प्रदुषण पर्यावरण में फैलावल जाला,
गंगा जल के लोग अमृत बतावालन,
बाकी ओहीमे सब अपशिष्ट बहवालन,
गऊ माता के पूजन करल जाला,
बुढा गईला प कसाई के हाथे बेचल जाला,
बहिन से राखी तिलक करावल जाला,
मुसीबत परला प मुह मोड़ लीहल जाला,
बचपन में माई के ममता के गावेला,
बुढापा में ब्रिध आश्रम के राह देखावेला,
दीवाली आवेला लोग खुशियाँ मनावेला,
दीवाली के अशली अर्थ का होला,
इ त कम लोग ही जान पावेला !!
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